केंद्र सरकार समय पर बिजली प्रोजेक्ट पूरा नहीं करने वाली निजी बिजली कंपनियों पर नकेल कसने के लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में संशोधन करने जा रही है। इस संशोधन के मसौदे (ड्राफ्ट) के मुताबिक अगर कंपनी ने समय पर (लगभग तीन साल) प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया तो पांच करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ-साथ उसका प्रोजेक्ट भी केंद्र सरकार वापस ले सकती है।
ऊर्जा मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक बिजली प्रोजेक्ट समय पर पूरे हों, इसके लिए इस कानून में संशोधन कर प्रोजेक्ट लेने वाली कंपनी को इसे समय पर पूरा नहीं करने पर बड़ा जुर्माना और प्रोजेक्ट वापस तक लेने का प्रावधान करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 63 के मुताबिक निजी बिजली कंपनियों को बिजली उत्पादन और वितरण में उतरने के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत होती है। निजी कंपनी को किसी प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए खुद काम करना होता है, लेकिन स्रोत वह सरकार से ही लेती है। यही कारण है कि प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के लिए उनको भी इस कानून के दायरे में लाया जा रहा है।
लेकिन इस संशोधन का सबसे ज्यादा असर अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट हासिल कर चुकी कंपनियों पर होगा। अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार कंपनियों को कोल ब्लॉक, पर्यावरण मंजूरी और वित्तीय मदद तक मुहैया करा रही है। इसलिए इन प्रोजेक्ट के समय पर पूरा करने के लिए मंत्रालय ज्यादा जोर दे रहा है। फिलहाल इसका ड्राफ्ट तैयार हो रहा है जिसके मुताबिक अगर किसी कंपनी ने अपनी तय समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा नहीं करती तो उस पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना और प्रोजेक्ट वापस भी लेने का प्रावधान शामिल किया जा रहा है।
इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में कुछ नए सेक्शन जोड़े जा रहे हैं। अभी रिलायंस पावर के पास तीन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट सासन, कृष्णापट्टनम और तिलैया हैं। जबकि टाटा पावर को मुंदरा प्रोजेक्ट मिला है। वैसे तो रिलायंस पावर को तीन प्रोजेक्ट देने के खिलाफ भी मंत्रियों के समूह में बातचीत हुई थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ था। अब इस संशोधन से कंपनी पर समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने का दबाव भी बन जाएगा। इन सभी प्रोजेक्टों को 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पूरा होना है।
ऊर्जा मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी के मुताबिक बिजली प्रोजेक्ट समय पर पूरे हों, इसके लिए इस कानून में संशोधन कर प्रोजेक्ट लेने वाली कंपनी को इसे समय पर पूरा नहीं करने पर बड़ा जुर्माना और प्रोजेक्ट वापस तक लेने का प्रावधान करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 63 के मुताबिक निजी बिजली कंपनियों को बिजली उत्पादन और वितरण में उतरने के लिए लाइसेंस लेने की जरूरत होती है। निजी कंपनी को किसी प्रोजेक्ट की मंजूरी के लिए खुद काम करना होता है, लेकिन स्रोत वह सरकार से ही लेती है। यही कारण है कि प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के लिए उनको भी इस कानून के दायरे में लाया जा रहा है।
लेकिन इस संशोधन का सबसे ज्यादा असर अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट हासिल कर चुकी कंपनियों पर होगा। अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट में केंद्र सरकार कंपनियों को कोल ब्लॉक, पर्यावरण मंजूरी और वित्तीय मदद तक मुहैया करा रही है। इसलिए इन प्रोजेक्ट के समय पर पूरा करने के लिए मंत्रालय ज्यादा जोर दे रहा है। फिलहाल इसका ड्राफ्ट तैयार हो रहा है जिसके मुताबिक अगर किसी कंपनी ने अपनी तय समय सीमा में प्रोजेक्ट पूरा नहीं करती तो उस पर पांच करोड़ रुपये का जुर्माना और प्रोजेक्ट वापस भी लेने का प्रावधान शामिल किया जा रहा है।
इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी एक्ट में कुछ नए सेक्शन जोड़े जा रहे हैं। अभी रिलायंस पावर के पास तीन अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट सासन, कृष्णापट्टनम और तिलैया हैं। जबकि टाटा पावर को मुंदरा प्रोजेक्ट मिला है। वैसे तो रिलायंस पावर को तीन प्रोजेक्ट देने के खिलाफ भी मंत्रियों के समूह में बातचीत हुई थी, लेकिन इस पर कोई फैसला नहीं हुआ था। अब इस संशोधन से कंपनी पर समय पर प्रोजेक्ट पूरा करने का दबाव भी बन जाएगा। इन सभी प्रोजेक्टों को 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान पूरा होना है।